रविवार, 27 दिसंबर 2009

Intzar


इंतज़ार



हर वक़्त, हर पल तेरा ख्याल आता रहा,
जब तक जिंदा रहा, लबों पे बस तेरा ही नाम आता रहा।


मरने के बाद भी कब्र पर बैठा तेरा ही इंतज़ार मैं करता रहा,
सब आए आखिरी दीदार को मेरे, बस एक तेरे दीदार को मैं तरसता रहा।


खुदा ने भी आकर खुद पूछा, बेटा ! तू मर कर भी मुझसे मिलने को न आया,
तो बस यही कहा,
ऐ खुदा! जिसकी खातिर भेजा था तूने मुझको, बस उसी का इंतज़ार अब तक मैं करता रहा।


खुदा ने फिर कहा, वो न आएगी कभी, तू चल मैं तुझे जन्नत की सैर करा दूं,
पर तेरे बगैर जन्नत तो क्या, दोजख भी मेरे लिए तरसता रहा।


जन्नत की हूर ने भी, बड़े प्यार से पुकारा मुझे,
पर तब भी तुझसे ही प्यार मैं करता रहा।


थक हार कर खुदा ने भी नए जन्म का ऐलान कर दिया मेरे,
पर मैं तो हर जन्म में, बस तेरे प्यार के लिए मरता रहा।


भेज दिए खुदा ने फिर फरिस्ते, तुझे खोजने के वास्ते,
और मैं उनके बगैर ही, हर जहां में तेरी तलाश करता रहा।


खुदा के हर दर पे, तुझसे मिलने की फ़रियाद मैं करता रहा,
चाँद तारों से तेरी ही बात मैं करता रहा।


चाँद तारों ने भी मदद की मेरी, तुझे तलाशने में,
पर लगता है जैसे मेरी हर कोशिश में, तुझसे ही दूर मैं जाता रहा।


पर तब भी हर कोशिश में मुझे, तेरा ही ख्याल आता रहा।
और जब तक मैं जिन्दा रहा, तेरे ही नगमे लिखता और सबको सुनाता रहा।


आज भूल गया है ये जहां मुझको, पर तुझे भूल न पाया हूँ।
जो लिखा था पहली बार देख के तुझको, आज तक वही गीत मैं गुनगुनाता रहा।


By
Maahi...
24th June 2009
3:53pm

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